शिव तांडव स्तोत्रम् – Shiv Tandav Stotram

हिंदू धर्म में कई देवी-देवता हैं और उनकी मान्यताएं भी अलग-अलग हैं और उन्हें प्रसन्न करने या उनकी पूजा करने के लिए अलग-अलग आरती, पाठ, चालीसा और स्तोत्रम् आदि हैं। इसी प्रकार देवों के देव महादेव, कालों के महाकाल, नीलकंठ, आदिदेव, जटाधारी आदि नामों से विश्वविख्यात हमारे शिव शम्भू के लिए भी एक “स्तोत्र” है, जिसकी उत्पत्ति उनके परम भक्त लंकापति रावण ने की थी। जिसे हम सब “शिव तांडव स्तोत्रम् – Shiv Tandav Stotram” या रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र भी कहते हैं।

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शिव तांडव स्तोत्रम् – Shiv Tandav Stotram PDF

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शिव तांडव स्तोत्रम् – Shiv Tandav Stotram Lyrics

शिव तांडव स्तोत्रम्

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्

डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदिक्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरेमनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः

भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकश्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरंमहाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके

धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरःकलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदंगजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकंगजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गलध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोःसमं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकःशिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशंपरिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिःशिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिंविमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तांलक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥

इति श्रीरावण कृतम्शिव ताण्डव स्तोत्रम्स म्पूर्णम्

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शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

देवों के देव महादेव को समर्पित शिव तांडव स्तोत्रम् लिरिक्स (Shiv Tandav Stotram Lyrics) में प्रयुक्त प्रत्येक शब्द ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर है। यदि आप प्रतिदिन भगवान शिव की भक्ति में लगकर इसका पाठ करेंगे तो कुछ ही दिनों में आप इसे कंठस्थ कर लेंगे और इसके लाभ भी महसूस करेंगे।

शिव तांडव स्तोत्र के लाभ :-

  • आपके घर में लक्ष्मी का आशीर्वाद रहेगा।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि होती है तथा उत्कृष्ट व्यक्तित्व मिलता है।
  • प्रतिदिन पाठ से अष्ट-सिद्धियों को भी पाया जा सकता है।
  • किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक कष्ट, असाध्य रोग, या तंत्र-मंत्र से पीड़ित हैं तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से आपको लाभ होगा।
  • शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से पितृदोष, कालसर्प दोष तथा शनि के कुप्रभावों से भी मुक्ति मिलती है।

शिव तांडव स्तोत्रम् किसने लिखा?

शिव तांडव स्तोत्र के रचयिता लंकापति रावण है।

शिव तांडव स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?

17


शिव तांडव में कौन सा छंद है?

 पंचचामर छंद


भगवान शिव के तीन नृत्य कौन से हैं?

भगवान शिव का तांडव नृत्य तीन पहलुओं को समाहित करता है: विनाशकारी, योगिक और आशीर्वाद प्रदान करने वाला


शिव जी कहाँ रहते हैं?

कैलाश पर्वत


शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

 ‘श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः। स्नानीयं जलं समर्पयामि‘ 


शिवलिंग पर दूध किस बर्तन में चढ़ाएं?

 तांबे के बर्तन

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम

सोमनाथ
मल्लिकार्जुन
महाकालेश्वर
ओंकारेश्वर
केदारेश्वर
भीमाशंकर
विश्वेश्वर (विश्वनाथ)
त्र्यंबकेश्वर
वैद्यनाथ
नागेश्वर
रामेश्वर
घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर)

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